रिश्ते
सुना है.....
सन्नाटे की भी एक आवाज़ है!
जब दो लोगों के बीच दिमाग ने बात कर ली है,
और दिल चुप है,
वो चुप्पी नहीं
सन्नाटे की आवाज़ है!
वही तो.....
दिल की आवाज़ है|
जब बात जुबां से बयां हो,
और मन की आँखों पर पट्टी हो
जब कुछ भी दिखाई न देता हो,
कुछ भी सुनाई न देता हो
सामने वाला अपनी निगाहों से,
शायद अपने लफ़्ज़ों से
कुछ न कुछ कहने के प्रयास से,
उस अहम की दौड़ में
बहुत कुछ भूल जाते हैं|
उस ग़ुरूर की होड़ में
कि आज तो ख़त्म ही कर देते हैं!
और सच में.....
ख़त्म ही हो जातें हैं
रिश्ते!!!!!
ज़रा कान लगा के सुनना मेरे लफ़्ज़ों को,
मानो आजकल चीखते नहीं हो!
खुद का मन खोल, यादें बुन
उसको देख, उसके बाद सुन
शायद सुनाई ही दे दे.....
क्योंकि.....
सुनाई देती है जिसकी धड़कन,
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है!
ये रिश्ते इतनी जल्दी टूट क्यों जाते हैं?
चंद महीनों में दिल नहीं, आदतें मिलते हैं!
दिल मिलने में वक्त लगता है
कहीं न कहीं यह हर किसी को चुभता है!
दोनों दिलों के बीच कई परते हैं
दिखाई नहीं देते मगर होते हैं|
पहले उनको निकाल,
फिर रुकेंगे ये बवाल|
भावनात्मक रूप से वंचित हो,
सारे बहानों को तोड़ो तो
तभी आखिर.....
एक सुन्दर सफऱ की शुरुआत होगी!
कुछ उनकी, कुछ आपकी बात होगी!!
--------कुनामी सोरेन
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