तो क्या हुआ??
दिल ही तो टूटा है, तो क्या हुआ?
अरे अपना यार ही तो रूठा है, तो क्या हुआ?
ज़िन्दगी से एक इंसान ही तो छूटा है, तो क्या हुआ?
शायद एक साल, फिर से पढ़ना पड़ेगा, तो क्या हुआ?
मास्टर जी की आवाज़ फिर कानों में चुभेगा, तो क्या हुआ?
शायद माँ-बाप को आपको फिर डांटना पड़ेगा, तो क्या हुआ?
भाई अपनी बहन को फिर चिढ़ायेगा, तो क्या हुआ?
आज मेरे पास न दौलत है, न शोहरत है...
न प्यार है, न यार है...
और अपना कोई घर भी तो नहीं!
चलो अच्छा है.....
कम से कम सपने टूटने का कोई डर तो नहीं!
माना मेरे पास कोई ख्वाब नहीं, तो क्या हुआ?
उस हर सवाल का जवाब नहीं, तो क्या हुआ?
माना मैं उन तालियों के काबिल नहीं, तो क्या हुआ?
पर आज मेरी पहचान उस घाव से हुई है, न ही किसी के भाव से!
गर किसी ने कुछ सलाह ही दी, तो क्या हुआ?
गर किसी ने कुछ सुना ही दी, तो क्या हुआ?
उन्हें सुनकर तुम उनका आदर ही करते हो, अनादर तो नहीं...
माना मैं कोई शायर नहीं, तो क्या हुआ?
साहस की कमी भले है मुझमें, तो क्या हुआ?
औरों की तरह कायर तो नहीं...
थोड़ी नादान ज़रूर हूँ, तो क्या हुआ?
बेवक़ूफ़ तो नहीं...
ज़रा परेशान ज़रूर हूँ, तो क्या हुआ?
मायूस तो नहीं...
आज जेब में पैसे नहीं, तो क्या हुआ?
लोग जैसे पहले थे वैसे अब नहीं, तो क्या हुआ?
कोई नहीं पूछता कैसे हो? तो क्या हुआ?
शायद आज नहीं पूछे, कल पूछ ले
तो क्या हुआ?
और गर कल भी न पूछे, तो क्या हुआ?
आज तुम तुम्हारे साथ हो, बस वही काफ़ी है...
ज़िन्दगी में थोड़े ही सही, अच्छे लम्हें तो मिले हैं...
बाकी सब माफ़ी है|
बस.....
इस वक्त को संभल जाओ, वही काफ़ी है.....!!!
------कुनामी सोरेन
Comments
Post a Comment