थोड़ा सा समाज के नज़रिये से ढा दिया
थोड़ा अपना अंदाज़ ही बदल दिया
तो वाह-वाही पक्की है!
ताज्जुब तो इस बात का है
हमारे दर्द पे हमें ही
तालियां मिलती है!
ज़िन्दगी का जब ये पहलू समझोगे
इसे जीने में बड़ी आसानी होगी!
आपका दर्द औरों का दुख
कभी समान नहीं
ये बात समझनी होगी!
मात्राएं हमेशा अलग रहेंगी
किसी का ज़्यादा
तो किसी का कम होगा!
और ये ज़्यादा-कम
सिर्फ आपका नज़रिया ही तो होगा!
कभी गौर किया??
जब दर्द बाँटते हैं
एक सुकून पाते हैं!
मगर जब बात है आती
खुद ही को गँवाने की
बिखरने से पहले
खुद सँभलने की.....
और ये तभी आता है
जब किसी को बिखरा हुआ देखा हो
या खुद बिखर चुके हों.....!!
------कुनामी सोरेन
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