आगे बढ़ें क्या???
देखा जब एक हसीन चेहरा,
एक अलग ही एहसास हुआ
धड़कने तो थी,
पर कभी उनका आभास नहीं हुआ
आपने उनकी तरफ़ देखा,
उन्होंने आपकी तरफ़ देखा
मानो दिल ने मिटा दी हो सारी रेखा|
आँखें मिली, फिर नज़रे मिली
धड़कने मानो धाक-धुक, धाक-धुक
और फिर पता चला...
यही तो है,
जिससे मैं था सपने में मिला!
थोड़ा आगे बढ़े क्या?
बात करें क्या?
कर सकते हैं क्या?
सोचने...सोचने... सोचने... में वक्त निकल गया
उन्होंने इंतजार किया,
आपने विचार किया
क्यों किया?
किसी भी रिश्ते की शुरुआत में
दो चीज़ें ही होती हैं,
वो छोटा सा धक्का, जो आप खुद को देते हैं
यार चल न, क्या फर्क पड़ेगा?
शुरुआत में ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा?
तू रूठेगा...मना लेंगें
दिल टूटेगा... जोड़ लेंगें
पर अगर.....
हमने कोशिश ही नहीं की तो?
हमने बात छेड़ी ही नहीं तो?
पता नहीं क्या होगा?
हर किसी ने यह पल कभी न कभी है भोगा|
तो आगे चल जाना चाहिए
जब आपको ऐसा लगे,
इस भ्रम में न जाने कितने लोग हैं ठगे
यहाँ पर जो एहसास है
वो बहुत ख़ास है!
फिर देखिये क्या होता है?
चाँटा या काँटा.....
कुछ न कुछ तो मिलता ही है... !!!
------कुनामी सोरेन
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